Ad

urea fertilizer

जितना खेत,उतना मिलेगा यूरिया

जितना खेत,उतना मिलेगा यूरिया

अभी तक किसानों को यूंही मुंहमांगा यूरिया खाद देने वाले दुकानदारों के लिए परेशानी खडी होने लगी है। किसी भी एक किसान को एक से अधिक बार 20—25 बैग देने वाले कारोबारियों को इस तरह के नोटिस जा रहे हैं। केन्द्र सरकार खाद की कालाबाजारी रोकने की दिशा में इस तरह के कदम उठा रही है लेकिन अब दुकानदार भी किसानों से आधार नंबर और खतौनी खाद खरीदने आते वक़्त लेकर आने की बात कहने लगे हैं।

ये भी पढ़ें : किसानों के लिए वरदान बनकर आया नैनो लिक्विड यूरिया

उल्लेखनीय है कि यूरिया एवं डीएपी आदि उर्वरकों को सरकार किसानों के लिए सस्ती दर पर मुहैया कराती है लेकिन कुछ उद्योगों में भी इसका दुरुपयोग होता था। इसे रोकने के लिए सरकार ने यूरिया को नीम लेपित कर दिया। इसके बाद कुछ समय के लिए उद्योगों में इसका दुरुपयोग रुक गया। इधर किसान भी अपनी फसलों में यूरिया का अंधाधुंध प्रयोग कर रहे हैं। यूरिया के अधिक उपयोग से अनाज की पोषण क्षमता के अलावा जमीन की उर्वराशक्ति पर भी प्रभाव पड़ रहा है। सरकार धीरे धीरे किसानों को भी यूरिया के उचित उपयोग की आदी बनाना चाहती है। इस क्रम में जिन किसानों के नाम एक से अधिक यूरिया के बैगों की ज्यादा संख्या दर्ज की गई है उनके आंकडों को जिला कृषि अधिकारियों के माध्यम से सत्यापित किया जा रहा है। दुकानदारों से स्पष्टीकरण मांगा गया है कि यूरिया के बैग बार-बार एक ही किसान को ज्यादा तादात में देने का मामला संज्ञान में आ रहा है। यदि फीडिंग में कोई गलती है या किसान बटाई आदि पर ज्यादा खेत करता है तो प्रमाण सहित उसका स्पष्टीकरण उन्हें देना पड़ेगा।

खेती की जमीन की पुष्टी के बाद मिलेगा खाद

अभी तक होता यह आया है कि परचून की दुकान की तरह दुकानदार किसानों को उनकी मांग के हिसाब से खाद देते रहे लेकिन अब यह हालात नहीं रहेंगे। अब वह किसानों से उनकी खेती योग्य जमीन का ब्यौरा मांगेंगे ताकि उन्हें पता चल सके कि किसान जमीन से ज्यादा खाद तो नहीं ले गया। इसके अलावा यदि बटाई पर खेत करता है तो किसका खेत करता है व कितना खेत करता है इसका भी विवरण लेंगे। किसान के नाम, पता व फोन नंबर भी रखेंगे ताकि यदि किसी तरह की दिक्कत होतो उन्हें बुलाकर स्पष्टीकरण दिया जा सके।
कटाई के बाद अप्रैल माह में खेत की तैयारी (खाद, जुताई ..)

कटाई के बाद अप्रैल माह में खेत की तैयारी (खाद, जुताई ..)

किसान फसल की कटाई के बाद अपने खेत को किस तरह से तैयार करता है? खाद और जुताई के ज़रिए, कुछ ऐसी प्रक्रिया है जो किसान अपने खेत के लिए अप्रैल के महीनों में शुरू करता है वह प्रतिक्रियाएं निम्न प्रकार हैं: 

कटाई के बाद अप्रैल (April) महीने में खेत को तैयार करना:

इस महीने में रबी की फसल तैयार होती है वहीं दूसरी तरफ किसान अपनी जायद फसलों की  तैयारी में लगे होते हैं। किसान इस फसलों को तेज तापमान और तेज  चलने वाली हवाओ से अपनी फसलों को  बचाए रखते हैं तथा इसकी अच्छी देखभाल में जुटे रहते हैं। किसान खेत में निराई गुड़ाई के बाद फसलों में सही मात्रा में उर्वरक डालना आवश्यक होता है। निराई गुड़ाई करना बहुत आवश्यक होता है, क्योंकि कई बार सिंचाई करने के बाद खेतों में कुछ जड़े उगना शुरू हो जाती है जो खेतों के लिए अच्छा नही होता है। इसीलिए उन जड़ों को उखाड़ देना चाहिए , ताकि खेतों में फसलों की अच्छे बुवाई हो सके। इस तरह से खेत की तैयारी जरूर करें। 

खेतों की मिट्टी की जांच समय से कराएं:

mitti ki janch 

अप्रैल के महीनों में खेत की मिट्टियों की जांच कराना आवश्यक है जांच करवा कर आपको यह  पता चल जाता है।कि मिट्टियों में क्या खराबी है ?उन खराबी को दूर करने के लिए आपको क्या करना है? इसीलिए खेतों की मिट्टियों की जांच कराना 3 वर्षों में एक बार आवश्यक है आप के खेतों की अच्छी फसल के लिए। खेतों की मिट्टियों में जो पोषक तत्व मौजूद होते हैं जैसे :फास्फोरस, सल्फर ,पोटेशियम, नत्रजन ,लोहा, तांबा मैग्नीशियम, जिंक आदि। खेत की मिट्टियों की जांच कराने से आपको इनकी मात्रा का भी ज्ञान प्राप्त हो जाता है, कि इन पोषक तत्व को कितनी मात्रा में और कब मिट्टियों में मिलाना है इसीलिए खेतों की मिट्टी के लिए जांच करना आवश्यक है। इस तरह से खेत की तैयारी करना फायेदमंद रहता है । 

ये भी पढ़े: अधिक पैदावार के लिए करें मृदा सुधार

खेतों के लिए पानी की जांच कराएं

pani ki janch 

फसलो के लिए पानी बहुत ही उपयोगी होता है इस प्रकार पानी की अच्छी गुणवत्ता का होना बहुत ही आवश्यक होता है।अपने खेतों के ट्यूबवेल व नहर से आने वाले पानी की पूर्ण रूप से जांच कराएं और पानी की गुणवत्ता में सुधार  लाए, ताकि फसलों की पैदावार ठीक ढंग से हो सके और किसी प्रकार की कोई हानि ना हो।

अप्रैल(April) के महीने में खाद की बुवाई करना:

कटाई के बाद अप्रैल माह में खेत की तैयारी (खाद, जुताई) 

 गोबर की खाद और कम्पोस्ट खेत के लिए बहुत ही उपयोगी साबित होते हैं। खेत को अच्छा रखने के लिए इन दो खाद द्वारा खेत की बुवाई की जाती है।मिट्टियों में खाद मिलाने से खेतों में सुधार बना रहता है,जो फसल के उत्पादन में बहुत ही सहायक है।

अप्रैल(April) के महीने में हरी खाद की बुवाई

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले कई वर्षों से गोबर की खाद का ज्यादा प्रयोग नहीं हो रहा है। काफी कम मात्रा में गोबर की खाद का प्रयोग हुआ है अप्रैल के महीनों में गेहूं की कटाई करने के बाद ,जून में धान और मक्का की बुवाई के बीच लगभग मिलने वाला 50 से 60 दिन खाली खेतों में, कुछ कमजोर हरी खाद बनाने के लिए लोबिया, मूंग, ढैंचा खेतों में लगा दिए जाते हैं। किसान जून में धान की फसल बोने से एक या दो दिन पहले ही, या फिर मक्का बोने से 10-15 दिन के उपरांत मिट्टी की खूब अच्छी तरह से जुताई कर देते हैं इससे खेतों की मिट्टियों की हालत में सुधार रहता है। हरी खाद के उत्पादन  के लिए सनई, ग्वार , ढैंचा  खाद के रूप से बहुत ही उपयुक्त होते हैं फसलों के लिए।  

अप्रैल(April) के महीने में बोई जाने वाली फसलें

april mai boi jane wali fasal 

अप्रैल के महीने में किसान निम्न फसलों की बुवाई करते हैं वह फसलें कुछ इस प्रकार हैं: 

साठी मक्का की बुवाई

साठी मक्का की फसल को आप अप्रैल के महीने में बुवाई कर सकते हैं यह सिर्फ 70 दिनों में पककर एक कुंटल तक पैदा होने वाली फसल है। यह फसल भारी तापमान को सह सकती है और आपको धान की खेती करते  समय खेत भी खाली  मिल जाएंगे। साठी मक्के की खेती करने के लिए आपको 6 किलोग्राम बीज तथा 18 किलोग्राम वैवस्टीन दवाई की ज़रूरत होती है। 

ये भी पढ़े: Fasal ki katai kaise karen: हाथ का इस्तेमाल सबसे बेहतर है फसल की कटाई में

बेबी कार्न(Baby Corn) की  बुवाई

किसानों के अनुसार बेबी कॉर्न की फसल सिर्फ 60 दिन में तैयार हो जाती है और यह फसल निर्यात के लिए भी उत्तम है। जैसे : बेबी कॉर्न का इस्तेमाल सलाद बनाने, सब्जी बनाने ,अचार बनाने व अन्य सूप बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है। किसान बेबी कॉर्न की खेती साल में तीन चार बार कर अच्छे धन की प्राप्ति कर सकते हैं। 

अप्रैल(April) के महीने में मूंगफली की  बुवाई

मूंगफली की फसल की बुवाई किसान अप्रैल के आखिरी सप्ताह में करते हैं। जब गेहूं की कटाई हो जाती है, कटाई के तुरंत बाद किसान मूंगफली बोना शुरू कर देते है। मूंगफली की फसल को उगाने के लिए किसान इस को हल्की दोमट मिट्टी में लगाना शुरु करते हैं। तथा इस फसल के लिए राइजोवियम जैव खाद का  उपचारित करते हैं। 

अरहर दाल की बुवाई

अरहर दाल की बढ़ती मांग को देखते हुए किसान इसकी 120 किस्में अप्रैल के महीने में लगाते हैं। राइजोवियम जैव खाद में 7 किलोग्राम बीज को मिलाया जाता है। और लगभग 1.7 फुट की दूरियों पर लाइन बना बना कर बुवाई शुरू करते हैं। बीजाई  1/3  यूरिया व दो बोरे सिंगल सुपर फास्फेट  किसान फसलों पर डालते हैं , इस प्रकार अरहर की दाल की बुवाई की जाती है। 

अप्रैल(April) के महीने में बोई जाने वाली सब्जियां

April maon boi jane wali sabjiyan अप्रैल में विभिन्न विभिन्न प्रकार की सब्जियों की बुवाई की जाती है जैसे : बंद गोभी ,पत्ता गोभी ,गांठ गोभी, फ्रांसबीन , प्याज  मटर आदि। ये हरी सब्जियां जो अप्रैल के माह में बोई जाती हैं तथा कई पहाड़ी व सर्द क्षेत्रों में यह सभी फसलें अप्रैल के महीने में ही उगाई जाती है।

खेतों की कटाई:

किसान खेतों में फसलों की कटाई करने के लिए ट्रैक्टर तथा हार्वेस्टर और रीपर की सहायता लेते हैं। इन उपकरणों द्वारा कटाई की जाती है , काटी गई फसलों को किसान छोटी-छोटी पुलिया में बांधने का काम करता है। तथा कहीं गर्म स्थान जहां धूप पढ़े जैसे, गर्म जमीन , यह चट्टान इन पुलिया को धूप में सूखने के लिए रख देते है। जिससे फसल अपना प्राकृतिक रंग हासिल कर सके और इन बीजों में 20% नमी की मात्रा पहुंच जाए। 

ये भी पढ़े: Dhania ki katai (धनिया की कटाई)

खेत की जुताई

किसान खेत जोतने से पहले इसमें उगे पेड़ ,पौधों और पत्तों को काटकर अलग कर देते हैं जिससे उनको साफ और स्वच्छ खेत की प्राप्ति हो जाती है।किसी भारी औजार से खेत की जुताई करना शुरू कर दिया जाता है। जुताई करने से मिट्टी कटती रहती है साथ ही साथ इस प्रक्रिया द्वारा मिट्टी पलटती रहती हैं। इसी तरह लगातार बार-बार जुताई करने से खेत को गराई प्राप्त होती है।मिट्टी फसल उगाने योग्य बन जाती है। 

अप्रैल(April) के महीने में बोई जाने वाली सब्जियां:

अप्रैल के महीनों में आप निम्नलिखित सब्जियों की बुवाई कर ,फसल से धन की अच्छी प्राप्ति कर सकते हैं।अप्रैल के महीने में बोई जाने वाली सब्जियां कुछ इस प्रकार है जैसे: धनिया, पालक , बैगन ,पत्ता गोभी ,फूल गोभी कद्दू, भिंडी ,टमाटर आदि।अप्रैल के महीनों में इन  सब्जियों की डिमांड बहुत ज्यादा होती है।  अप्रैल में शादियों के सीजन में भी इन सब्जियों का काफी इस्तेमाल किया जाता है।इन सब्जियों की बढ़ती मांग को देखते हुए, किसान अप्रैल के महीने में इन सब्जियों की पैदावार करते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारे इस आर्टिकल द्वारा कटाई के बाद खेत को किस तरह से तैयार करते हैं , तथा खेत में कौन सी फसल उगाते हैं आदि की पूर्ण जानकारी प्राप्त कर ली होगी। यदि आप हमारी दी हुई खेत की तैयारी की जानकारी से संतुष्ट है, तो आप हमारे इस आर्टिकल को सोशल मीडिया तथा अपने दोस्तों के साथ शेयर कर सकते हैं.

अब किसानों को नहीं झेलनी पड़ेगी यूरिया की किल्लत

अब किसानों को नहीं झेलनी पड़ेगी यूरिया की किल्लत

अब किसानों को नहीं झेलनी पड़ेगी यूरिया की किल्लत - बंद पड़े खाद कारखानों को दोबारा खोला जाएगा

नई दिल्ली। अब देश के किसानों को यूरिया की किल्लत नहीं झेलनी पड़ेगी। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात मे नैनो यूरिया संयंत्र का उद्घाटन किया था। अब उत्तर-प्रदेश, बिहार, झारखंड और ओडिशा में बंद पड़े खाद कारखानों को दोबारा खोला जा रहा है। इन कारखानों में जल्दी ही उत्पादन शुरू किया जाएगा। इसके लिए तैयारियां जोरों पर चल रहीं हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि अगस्त के पहले सप्ताह में कारखानों में यूरिया का उत्पादन शुरू हो जाएगा। हिंदुस्तान उर्वरक और रासायन लिमिटेड के जनरल कामेश्वर झा ने बताया कि प्लांट में सभी मशीनों की जांच की जा रही है। कम्पनी का प्रयास है कि चरणबद्ध तरीके से उत्पादन कार्य शुरू किया जाए। इसकी शुरुआत जुलाई में ही शुरू हो जाएगी। और अगस्त के महीने में पूरी क्षमता के साथ उत्पादन होगा। पूरी क्षमता से उत्पादन शुरू हो जाने के बाद यहां प्रतिदिन 3850 नीम कोटेड यूरिया का उत्पादन किया जाएगा।

ये भी पढ़ें:
किसानों के लिए वरदान बनकर आया नैनो लिक्विड यूरिया

बीस साल बाद शुरू होगा सिंदरी खाद कारखाना

- बता दें कि पांच सितंबर 2002 को स्व. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में वित्तीय संकट के चलते सिंदरी खाद कारखाना बंद हो गया था। करीब 20 साल बाद फिर से कारखाना शुरू होने जा रहा है। सिंदरी खाद कारखाना से देश मे हरित क्रांति लाने में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

यूरिया की कमी होगी दूर

- साल 1951 में सिंदरी कारखाने की पहली यूनिट का उत्पादन शुरू हुआ था। उन दिनों प्लांट का संचालन फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड द्वारा किया जाता था। यह कारखाना पूर्वी भारत में एफसीआई द्वारा संचालित एकमात्र यूरिया उत्पादन कारखाना था। इसके बंद होने के बाद पूर्वी राज्यों में यूरिया की भारी किल्लत हो गई थी। सभी आठ कारखाने बंद हो गए थे। और यूरिया की खपत लगातार बढ़ती जा रही है। स्थिति ऐसी बन गई है कि देश को यूरिया का आयात करना पड़ा रहा है। इसे देखते हुए केन्द्र सरकार ने गौरखपुर, सिंदरी और बरौनी में फिर से बंद पड़े यूरिया खाद कारखानों को शुरू करने की योजना बनाई है। बताया जा रहा है कि प्रत्येक प्लांट शुरू करने की योजना के अंतर्गत 6000 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की गई है।

ये भी पढ़ें: जितना खेत,उतना मिलेगा यूरिया

डीएपी से अभी राहत नहीं

- सरकार भले ही यूरिया की किल्लत दूर करने का दावा कर रही है। लेकिन फिलहाल डीएपी पर कोई राहत दिखाई नहीं दे रही है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में डीएपी की किल्लत और बढ़ेगी। ------- लोकेन्द्र नरवार
वैश्विक बाजार में यूरिया की कीमतों में भारी गिरावट, जानें क्या होगा भारत में इसका असर

वैश्विक बाजार में यूरिया की कीमतों में भारी गिरावट, जानें क्या होगा भारत में इसका असर

वैश्विक बाजार में यूरिया की कीमतों में भारी गिरावट - मांग बढ़ने से यूरिया की कीमतें 45 फीसदी तक घटीं

नई दिल्ली। उर्वरकों को लेकर रिकॉर्ड बनाती कीमतों के बीच सब्सिडी बजट मोर्चे पर सरकार को कुछ राहत मिलती दिख रही है। वैश्विक बाजार में यूरिया की कीमतों में भारी गिरावट हुई है। 

बढ़ती मांग के चलते यूरिया की कीमतें 45 फीसदी तक घट गईं हैं। वैश्विक बाजार में यूरिया की कीमत 1000 डॉलर प्रति टन तक पहुंच गई थी। जो गिरकर अब 550 डॉलर प्रति टन तक आ गईं हैं। 

भारत ने 980 डॉलर प्रति टन की कीमत तक यूरिया खरीदा था। देश में करीब 350 लाख टन यूरिया की खपत होती है। उम्मीद जताई जा रही है कि जुलाई के पहले सप्ताह में भारत यूरिया आयात का टेंडर जारी करेगा। 

संभावना है कि भारत को 540 डॉलर प्रति टन की कीमत में आयात सौदा मिल जाएगा। इससे किसानों को यूरिया की कीमतों में राहत मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।

ये भी पढ़ें: किसानों के लिए वरदान बनकर आया नैनो लिक्विड यूरिया

भारत में कितनी होंगी कीमतें

मिली जानकारी के अनुसार 540 डॉलर प्रति टन की कीमत पर होने वाले सौदे पर पांच फीसदी का आयात शुल्क लगेगा। और 1500 रुपये प्रति टन का हैंडलिंग व बैगिंग खर्च जोड़ा जायेगा। 

इसके बाद यह करीब 42 हजार रुपये प्रति टन हो जाएगा। एक समय यूरिया की कीमत करीब 75 हजार रुपए प्रति टन तक पहुंच गई थी।

ये भी पढ़ें: जितना खेत,उतना मिलेगा यूरिया 

 कीमतों में आई गिरावट के चलते सरकार को सब्सिडी के मोर्चे पर उच्चतम स्तर पर कीमत के मुकाबले करीब 30 हजार रुपए प्रति टन की बचत होगी। ------ लोकेन्द्र नरवार

किसान भाइयों के लिए यूरिया से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी

किसान भाइयों के लिए यूरिया से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी

कृषकों द्वारा अपनी फसल से ज्यादा उत्पादन प्राप्त करने के लिए यूरिया का इस्तेमाल किया जाता है। यूरिया फसलों की वृद्धि के लिए काफी जरूरी है। परंतु, कुछ फसलों को इसकी आवश्यकता नहीं पड़ती है। यूरिया का उपयोग खेत में काफी मात्रा में किया जाता है। यूरिया डालने के कुछ समय के उपरांत खेत की उपज प्रभावित होने लगती है। विशेषज्ञों के मुताबिक यूरिया एक रासायनिक उर्वरक है, जो कि नाइट्रोजन का एक बड़ा स्रोत माना जाता है। यह फसलों की बढ़वार के लिए काफी आवश्यक है। लेकिन कुछ फसलों को यूरिया की आवश्यकता नहीं होती है।

यूरिया का इस्तेमाल इन फसलों में नहीं होता है

दलहन फसलें जैसे कि अरहर, चना और मटर अपनी जड़ों में नाइट्रोजन स्थिरीकरण की प्रक्रिया करते हैं। इस प्रक्रिया में वे वायुमंडलीय नाइट्रोजन को अवशोषित करते हैं। साथ ही, उसे पौधे के लिए उपयोगी रूप में परिवर्तित करते हैं। इस वजह से दलहन फसलों को यूरिया की आवश्यकता नहीं होती है। रेशेदार फसलें जिनमें सन, जूट और कपास शामिल हैं। इन फसलों को भी यूरिया की जरूरत नहीं पड़ती है। इनके अतिरिक्त बैंगन, मिर्च और टमाटर यूरिया के प्रति संवेदनशील होती हैं। इन फसलों पर यूरिया का उपयोग करने से पत्तियों पर जलन हो सकती है। 

ये भी पढ़ें: इस खरीफ सीजन में डीएपी और यूरिया की रिकॉर्ड मात्रा में खपत दर्ज की गई है

किसान भाई इन चीजों पर विश्वास कर सकते हैं

मिट्टी परीक्षण रिपोर्ट से आपको पता चल सकता है, कि आपके खेत में कौन-कौन से पोषक तत्वों का अभाव है और कितनी मात्रा में कमी है। इस रिपोर्ट के आधार पर आप उर्वरक का उपयोग कर सकते हैं। साथ ही, कृषि विज्ञान केंद्रों के विशेषज्ञ फसलों के लिए उर्वरक के इस्तेमाल के बारे में सही जानकारी दे सकते हैं। साथ ही, कृषि विश्वविद्यालयों के अनुसंधानों से भी आपको उर्वरक के इस्तेमाल के बारे में सही जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।